सावन में नारकंडा | हिमांचल प्रदेश सैर | बरसात 2017
नारकंडा पड़ाव
शिमला से लगभग सत्तर किमी
दूर एक छोटा सा पहाड़ी क्षेत्र, पर हमें कहीं भी आधारभूत सुविधाओं की कमी नही खली। और अगर
कहीं आपकी गाड़ी का ईंधन यहाँ आते आते खत्म हो गया हो तो परेशान होने की नौबत नहीं
आएगी, क्योकि यहाँ पेट्रोल पंप की सुविधा भी है। शांत जगह
होने से गर्मियों की छुट्टियों में यहाँ अच्छी खासी सैलानियो की भीड़ देखी जा सकती
है, पर बरसात में यहाँ बहुत कम पर्यटक दिखाई दिये। रहने की
लिए अच्छा व सुथरा कमरा हम दंपति को हज़ार रुपए में पड़ा जिसमें सभी तीन स्टार
श्रेणी की सुविधा शामिल रहीं।
यहाँ मौसम ठंडा ही रहता है, तो गर्म कपड़े रखने मैं संकोच न
ही करें, आप शाम को टहलने निकले तो ज़रूरत महसूस होती हैं,
पर हम यहाँ हाफ पेंट और बिना बाजू वाली टीशर्ट में ही ठंड का मज़ा
लेते रहे। यहाँ आप चाय की चुस्की लेते हुए सुहाने मौसम का आनंद ले सकते है,
छोटी सी मार्किट घूमते हुए नारकंडा मंदिर बाजार पास ही है, के दर्शन कर सकते है । हालाँकि ज़्यादा खरीदारी के विकल्प नहीँ हैं,
पर खाने में आपको चाईनीज़,पंजाबी, नार्थ इंडियन सभी कुछ मिलेगा। यहाँ आप एक रात रुककर आगे का सफर तय कर सकते
हैं।
नागदेवता मंदिर
परिसर :
नारकंडा से चौदाह किमी दूर ये मंदिर एक छोटे से ताल के पास निर्मित है, और यहाँ की सुंदरता, शांति, और नज़ारा वाकई दिल दिमाग को सुकून देता है।
मंदिर के साथ ही पहाड़ी हरियाली से भरा प्राकृतिक सौंदर्य वाला पार्क अलग ही फील
देता है। वैसे यहाँ पिकनिक स्पॉट और रिसोर्ट भी है, पर बारिश
के मौसम मैं शायद ही कोई यहाँ आता हो। पर हमने तो एकांत का भरपूर मज़ा लिया और
मस्ती मैं न जाने कितनी फोटो से खींच डाली। पास के पहाड़ी की और बढ़े तो रास्ते में
छोटे छोटे बच्चों को को स्कूल जाते देख बचपन के पुराने दिनों की यादें तरोताज़ा हो
गयी।
हाटू मंदिर : हम चले तो गए गाड़ी लेकर, पर खड़ी
चढ़ाई और पतली सड़क देख कर धर्मपत्नी की सांस गले में ही अटकी रही। शुक्र रहा की
जाते हुए कोई गाड़ी रास्ते मैं नहीं टकराई वरना सारा ड्राइविंग का जोश वहीँ धरा रह
जाता। खैर, बढ़ती धड़कनो को विराम तब मिला हम रास्ता तय कर चोटी तक पहुंचे और एक
खूबसूरत मंदिर देखने को मिला। मंदिर की संरचना और परिसर निसंदेह खूबसूरती की मिसाल
है। पर यहाँ किस्मत ने हमारा साथ नहीं दिया और धुंध ने तो सारे नज़ारे को ही, हमारी
आँखों से छीन लिया। काफी देर इंतज़ार के बाद कुछ बदली छटी पर फिर भी हम पहाड़ो की
सौंदर्य छटा नहीं देख पाए, कदाचित बसंत मैं यहाँ द्रश्य सुलभ होता हो। फिर
कुछ अच्छे पल बिताकर हमने शिमला वापसी का रुख़कर यात्रा को विराम दिया।
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